सब्जियों में ब्रोकली की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। कई तरह के पोषक तत्वों वाली इस सब्जी की बाजार मांग काफी रहती है। बोकली गोभी की तरह दिखाती है लेकिन पोष्ट्रिकता की दृष्टि से साधारण गोभी से कई अधिक फायदेमंद होती है। सामान्यत: ब्रोकली की नर्सरी तैयार करने का सबसे अच्छा समय सितंबर-अक्टूबर का महीना माना जाता है। वहीं मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अगस्त-सितंबर महीने में इसकी नर्सरी तैयार की जाती है।
ब्रोकली की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु
ब्रोकली की खेती के लिए 18 से 23 डिग्री के बीच का तापमान बेहतर माना जाता है। इसकी खेती के लिए ठंडी जलवायु अच्छी मानी जाती है। ब्रोकोली को उत्तर भारत के मैदानी भागों में जाड़े के मौसम में अर्थात् सितंबर मध्य के बाद से फरवरी तक उगाया जा सकता है। वैसे ब्रोकली की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी बहुत अच्छी रहती है। इसकी पौध सितंबर मध्य से नवंबर के शुरू तक तैयार की जा सकती है।
खेत की तैयारी और रोपाई
ब्रोकोली को उत्तर भारत के मैदानी भागों में जाड़े के मौसम में अर्थात् सितम्बर मध्य के बाद से फरवरी तक उगाया जा सकता है। इस फसल की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन सफल खेती के लिये बलुई दोमट मिट्टी बहुत उपयुक्त है। सितम्बर मध्य से नवम्बर के शुरू तक पौधा तैयार की जा सकती है बीज बोने के लगभग 4 से 5 सप्ताह में इसकी पौध खेत में रोपाई करने योग्य हो जाती हैं इसकी नर्सरी ठीक फूलगोभी की नर्सरी की तरह तैयार की जाती है।
ब्रोकली की नर्सरी तैयार करने के लिए 3 फिट लंबी और 1 फिट चौड़ी तथा जमीन की सतह से 1.5 से. मी. ऊंची क्यारी में बीज की बुवाई की जाती है। इसकी बुवाई के लिए 400 से 500 ग्राम प्रति हैक्टेयर बीज दर के हिसाब से ली जाती है। क्यारी की अच्छी प्रकार से तैयारी करके एवं सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाकर बीज को पंक्तियों में 4-5 से.मी. की दूरी पर 2.5 से.मी. की गहराई पर बुवाई करते है बुवाई के बाद क्यारी को घास – फूस की महीन पर्त से ढक दिया जाता है।
नोट : घर की छत पे brocolie को ग्रो बैग मे लगाया जा सकता है | 5 फीट लंबे ग्रो बैग मे 6 brocolie के पौधे लगाये जा सकते हैं |
खाद और उर्वरक
रोपाई की अंतिम बार तैयारी करते समय प्रति 10 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में 50 किलो ग्राम गोबर की अच्छे तरीके से सड़ी हुई खाद कम्पोस्ट खाद इसके अतिरिक्त 1 किलोग्राम नीम खली 1 किलोग्राम अरंडी की खली इन सब खादों को अच्छी तरह मिलाकर क्यारी में रोपाई से पूर्व समान मात्रा में बिखेर लें इसके बाद क्यारी की जुताई करके बीज की रोपाई करें ।
पौधों की अच्छी बढ़वार और अच्छे शीर्ष प्राप्त करने के लिए क्यारी की अंतिम बार तैयारी करते समय प्रति १० वाग मीटर क्षेत्रफल में ५० किलो ग्राम गोबर की अच्छे तरीके से सड़ी हुई खाद , कम्पोस्ट खाद इसके अतिरिक्त आर्गनिक खाद १ किलो ग्राम भू-पावर , १ किलो ग्राम माइक्रो फर्टी सिटी कम्पोस्ट , १ किलो ग्राम माइक्रोनीम , १ किलो ग्राम सुपर गोल्ड कैल्सी फर्ट , और अरंडी की खली इन सब खादों को अच्छी तरह मिलाकर क्यारी में बुवाई से पूर्व समान मात्रा में बिखेर लें इसके बाद क्यारी की जुताई करके बीज की बुवाई करें । और फसल जब २०-२५ दिन की हो जाए तब सुपर गोल्ड मैग्नीशियम और माइक्रो झाइम का छिडकाव करें ।
कीड़े व बीमारियाँ और उसकी रोकथाम
अंगूर का काला सड़न, तेला, तना सडन ,मृदु रोमिल रोग यह प्रमुख बीमारियाँ हैं।
इसकी रोकथाम के लिए 5ली। देशी गाय के मठ्ठे में 2 किलो नीम की पट्टी 100 ग्राम तम्बाकू की पट्टी 1 किलो धतूरे की पट्टी को 2 ली. पानी के साथ उबालें जब पानी 1 ली । बचे तो ठंडा करके छान के मठ्ठे में मिला ले 140 ली पानी के साथ (यह पूरे घोल का अनुपात है आप लोग एकड़ में जितना पानी लगे उस अनुपात में मिलाएं ) मिश्रण तैयार कर पम्प के द्वारा फसल में तर-बतर कर छिडकाव करें ।
कटाई व उपज
फ़सल में जब हरे रंग की कलियों का मुख्य गुच्छा बनकर तैयार हो जाये शीर्ष रोपण के 65-70 दिन बाद तैयार हो जाते हैतो इसको तेज़ चाकू या दरांती से कटाई कर लें। ध्यान रखें कि कटाई के साथ गुच्छा खूब गुंथा हुआ हो तथा उसमें कोई कली खिलने न पाएँ। ब्रोकोली को अगर तैयार होने के बाद देर से कटाई की जाएगी वह ढीली होकर बिखर जायेगी तथा उसकी कली खिलकर पीला रंग दिखाने लगेगी ऐसी अवस्था में कटाई किये गये गुच्छे बाजार में बहुत कम दाम पर बिक सकेंगे। मुख्य गच्छा काटने के बाद, ब्रोकोली के छोटे गुच्छे ब्रिकी के लिये प्राप्त होगें। ब्रोकोली की अच्छी फ़सल से ल्रगभग 12 से 15 टन पैदावार प्रति हेक्टेअर मिल जाती है।
ब्रोकोली से स्वास्थ्य लाभ
पोषण से भरपूर: ब्रोकली विटामिन C, विटामिन K, और फाइबर का अच्छा स्रोत है, जो आपके स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है.
कैंसर से बचाव: इसमें मौजूद ग्लुकोसिनोलेट्स कैंसर के खिलाफ रक्षा कर सकते हैं.
ह्रदय स्वास्थ्य: ब्रोकली में पोटैशियम और फाइबर हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं.
वजन नियंत्रण: यह कम कैलोरी में अधिक पोषक तत्वों का स्रोत होता है, जो वजन नियंत्रण में मदद कर सकता है.
त्वचा स्वास्थ्य: ब्रोकली में विटामिन C और विटामिन K हमारी त्वचा के लिए फायदेमंद हैं.
डायबिटीज कंट्रोल: यह मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है.
शरीर की मजबूती: ब्रोकली काल्शियम, आयरन, और मैग्नीशियम का अच्छा स्रोत है, जो हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है.
आंतों के स्वास्थ्य: ब्रोकली में फाइबर की मात्रा अच्छी होती है, जिससे आंतों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है.