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गेंदा की खेती (Marigold Farming)

गेंदा की खेती
गेंदा की खेती

गेंदा की खेती : भारत में पुष्प व्यवसाय में गेंदा की खेती का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इसका धार्मिक तथा सामाजिक अवसरों पर वृहत् रूप में व्यवहार होता है। गेंदा फूल को पूजा अर्चना के अलावा शादी-ब्याह, जन्म दिन, सरकारी एवं निजी संस्थानों में आयोजित विभिन्न समारोहों के अवसर पर पंडाल, मंडप-द्वार तथा गाड़ी, सेज आदि सजाने एवं अतिथियों के स्वागतार्थ माला, बुके, फूलदान सजाने में भी इसका प्रयोग किया जाता है।

गेंदा के औषधीय गुण  (Marigold Ayurvedic Benefits)

  • कान दर्द में गेंदा के हरी पत्ती का रस कान में डालने पर दर्द दूर हो जाता है।
  • खुजली, दिनाय तथा फोड़ा में हरी पत्ती का रस लगाने पर रोगाणु रोधी का काम करती है।
  • अपरस की बीमारी में हरी पत्ती का रस लगाने से लाभ होता है।
  • अन्दरूनी चोट या मोच में गेंदा के हरी पत्ती के रस से मालिश करने पर लाभ होता है।
  • साधारण कटने पर पत्तियों को मसलकर लगाने से खून का बहना बन्द हो जाता है।
  • फूलों का अर्क निकाल कर सेवन करने से खून शुद्ध होता है।
  • ताजे फूलों का रस खूनी बवासीर के लिए भी बहुत उपयोगी होता है।

गेंदा की खेती में भूमि और जलवायु (Marigold Farming Land & Climate)

गेंदा की खेती उचित जल निकासी वाली भूमि में आसानी से की जा सकती है | इसके अलावा बलुई दोमट मिट्टी को गेंदा की खेती के लिए फायदेमंद माना जाता है, तथा P.H. मान भी 7 के आसपास हो |

भारत में गेंदा की खेती अलग-अलग जलवायु में आसानी से की जा सकती है,किन्तु पतझड़ के मौसम में पैदावार अच्छी प्राप्त हो जाती है | इसके पौधे एक बार लग जाने के बाद पूरे वर्ष पैदावार दे देते है | यदि आप इसकी खेती व्यापारिक तौर कर रहे है, तो सिर्फ एक बार ही पैदावार ले | गेंदा की खेती किसी भी जलवायु में की जा सकती है |

भूमि को समतल करने के बाद एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2-3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई करके एवं पाटा चलाकर, मिट्टी को भुरभुरा बनाने एवं ककर पत्थर आदि को चुनकर बाहर निकाल दें तथा सुविधानुसार उचित आकार की क्यारियाँ बना दें।

गेंदा की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Marigold)

  1. अफ्रिकन गेंदा : इस क़िस्म के पौधों को टेगेट्स भी कहते है | इसका पौधा तीन फ़ीट ऊँचा होता है, जिसमे खिलने वाले फूल 5 से 7 CM लम्बे होते है, जो सफ़ेद, चमकीला पीला, नारंगी, पीले और पीले नारंगी रंग के होते है |
  2. कैलेंडुला एफ जी मिक्स : कैलेंडुला एक कठोर वार्षिक पौधा है और एस्टेरसिया या कंपोजिटाई परिवार का सदस्य है। कैलेंडुला तेजी से बढ़ता है और इसका फूल लंबे समय तक रहता है। सुंदर नारंगी और पीले अर्ध-डबल और डबल फूल, अनौपचारिक गुलदस्ते के लिए अच्छे, खाने योग्य भी। इन फूलों के खिलने की अवधि बहुत लंबी होती है, जो ठंडे मौसम में पनपते हैं और ठंडी सर्दियों तक बने रहते हैं।
  3. देसी गेंदा : गेंदा की इस किस्म में फूल 135 से 145 दिन बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते है | इसमें फूल 6 से 9 CM व्यास वाले होते है | यह क़िस्म प्रति हेक्टेयर के खेत में 30 क्विंटल की पैदावार दे देती है |

गेंदा के खेत की जुताई खाद एवं उर्वरक (Plowing & Nutrition Management For Marigold Cropping)

गेंदा की खेती में खेत को साफ कर गहरी जुताई कर दी जाती है | खेत की पहली जुताई के पश्चात् उसमे गोबर की खाद डालकर अच्छे से मिला दे | इसके बाद खेत में पानी लगाकर पलेव कर दे | पलेव के बाद जब खेत में खरपतवार आ जाये तो रोटावेटर लगाकर खेत की अच्छे से जुताई कर करने के बाद उसे समतल कर दे | इससे खेत में जलभराव नहीं होता है | इसके बाद बीज रोपाई के लिए खेत में मेड़ को तैयार कर ले |

गेंदा की अच्छी ऊपज है तो खेत की तैयारी से पहले 200 क्विंटल कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिला दें । तत्पश्चात 120-160 किलो नेत्रजन, 60-80 किलो फास्फोरस एवं 60-80 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग प्रति है क्टेयर की दर से करें। नेत्रजन की आधी मात्रा एवं फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा खेत की अन्तिम जुताई के समय मिट्टी में मिला दें। नेत्रजन की शेष आधी मात्रा पौधा रोप के 30-40 दिन के अन्दर प्रयोग करें।

गेंदे की रोपाई (Planting Marigold)

गेंदा फूल खरीफ, रबी, जायद तीनों सीजन में बाजार की मांग के अनुसार उगाया जाता है। लेकिन इसके लगाने का उपयुक्त समय सितम्बर-अक्टूबर है। विभिन्न मौसम में अलग-अलग दूरी पर गेंदा लगाया जाता है जो निम्न है

खरीफ (जून से जुलाई) – 60 x 45 सेमी.
रबी (सितम्बर–अक्टूबर) – 45 x 45 सेमी.
जायद (फरवरी-मार्च) – 45 x 30 सेमी.

गेंदा के बीज को सीधा खेत में लगाने की तुलना में पौध उगाकर लगाना सबसे अच्छा होता है | इसके लिए बीजो को घर में या नर्सरी में तैयार कर लेना चाहिए | एक हेक्टेयर के खेत में गेंदा की पौध को तैयार करने के लिए 700 से 800 GM बीज संकर किस्म पर्याप्त होते है | इसके अलावा अन्य साधारण किस्मों में एक से सवा किलो बीज लग जाते है |

सिंचाई (Irrigation)

गेंदा के पौधों को नमी की जरूरत होती है, इसके लिए खेत में पहली सिंचाई पौध रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है, तथा जब तक पौधे जड़े न पकड़ ले तब तक खेत में नमी बनाए रखना होता है | जब पौधों में जड़े आ जाती है, तब पौधों को सप्ताह में एक बार पानी देना चाहिए, तथा पौधों पर शाखाए बनने के दौरान जरूरत के अनुसार खेत में पानी दे |

गेंदा के खेत में खरपतवार नियंत्रण (Marigold Field Weed Control)

गेंदा की फसल में निराई – गुड़ाई कर खरपतवार पर नियंत्रण किया जाता है | इसकी पहली गुड़ाई बुवाई के 25 दिन बाद की जाती है, तथा दूसरी गुड़ाई 15 दिन बाद और अन्य गुड़ाइयो को जरूरत के अनुसार करना होता है | आप रासायनिक विधि के माध्यम से भी खरपतवार को नष्ट कर सकते है, जिसके लिए आपको रेडोमिल या कार्बेन्डाजिम का छिड़काव पौध रोपाई से पहले करना होता है | प्राकृतिक विधि द्वारा जब भी आप फसल की गुड़ाई करे तो पौधों की जड़ो को मिट्टी से अवश्य ढक दे, इससे पौधों का विकास अच्छे से होता है, और फूल भी अधिक मात्रा में आते है |

गेंदा के पौधों रोग व् उपचार (Marigold Plant Diseases and Treatment)

1.झुलसा रोग अल्टरनेरिया टेगेटिका तथा सरकोस्पोरा फफूंद -पौधों पर ब्लाइटाक्स या वेवस्टीन दवाई का छिड़काव करे|

2.पौध गलन अधिक जल भराव व् फफूंद – पौधों पर आक्सीक्लोराइड का छिड़काव करे|

3.रेड स्पाइडर माइटकीट – डाइकोफाल में गोंद मिलाकर उसका छिड़काव पौधों पर करे|

4.माहूकीट – पौधों पर मेलाथियान की उचित मात्रा का छिड़काव करे|

5.पाउडरी मिल्ड्यूओडियम – स्पेसीज फफूंदसल्फेक्स दवा का छिड़काव पौधों पर करे|

6.रोयेंदार कीड़ा – इकाल्कस दवा का छिड़काव पौधों पर करे|

गेंदा के फूलों की तुड़ाई (Marigold Flower Plucking)

रोपाई के 30-40 दिन के अन्दर पौधे की मुख्य शाकीय कली को तोड़ देना चाहिए। इस क्रिया से यद्यपि फूल थोड़ा देर से आयेंगे, परन्तु प्रति पौधा फूल की संख्या एवं ऊपज में वृद्धि होती है। निकाई-गुड़ाई लगभग 15-20 दिन पर आवश्यकतानुसार निकाई-गुड़ाई करनी चाहिए। इससे भूमि में हवा का संचार ठीक संग से होता है एवं वांछित खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। रोपाई के 60 से 70 दिन पर गेंदा में फूल आता है जो 90 से 100 दिनों तक आता रहता है। अतः फूल की तोड़ाई साधारणतया सायंकाल में की जाती है। फूल को थोड़ा डंठल के साथ तोड़ना श्रेयस्कर होता है। फूल का कार्टून जिसमें चारों तरफ एवं नीचे में अखबार फैलाकर रखना चाहिए एवं ऊपर से फिर अखबार से ढँक कर कार्टून बन्द करना चाहिए।

गेंदे की उपज 80-100 क्विंटल फूल/हेक्टेयर|

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